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''तैंतीस सालों के बाद लगा अभी सफ़र की शुरुआतभर है''-डॉ.किरण सेठ

Written By ''अपनी माटी'' वेबपत्रिका सम्पादन मंडल on 25 जुल॰ 2010 | 11:03:00 pm


स्पिक मैके के राजस्थान अधिवेशन की रिपोर्ट
''तैंतीस सालों के बाद लगा अभी सफ़र की शुरुआतभर है''-डॉ.किरण सेठ

''आजकल एक बहुत गहरी बात गायब हो गई  है,और वो है हमारे इस जीवनचर्या के परिदृश्य में सभी बातों-बातों,पार्टियों और दिखावे के गणित के फेर में जमे हुए हैं,जिससे किसी को भी अपने अन्दर झांकने की फुरसत नहीं मिल पा रही है .आज हम इस आन्दोलन के जरिए तैंतीस सालों के सफ़र के बाद भी अनुभव करते हैं कि हमने अभी तो सफ़र की शुरुआतभर  की है.आने वाले पांच सालों में हमें कलागुरुओं की कार्यशालाओं पर जोर देते हुए कक्षा एक से पांच तक की पीढ़ी पर अपने काम को  केन्द्रित करना होगा.एक और गौरतलब बात कि समाज में संयुक्त  परिवार आज़ादी के बाद से ही लगातार रूप में  टूटते जा रहे हैं,वहीं घरों में पति-पत्नी के कामगार बन जाने पर टी.वी. ही संस्कार  देने-लेने का एकमात्र साधन हो चला है,ऐसे में हम जैसे संकृतिकर्मियों और शैक्षणिक संस्थानों की  जिम्मेदारी बढ़ जाती है.''

स्पिक मैके संस्थापक अध्यक्ष डॉ.किरण सेठ ने ये विचार  राजस्थान  इकाई के कोटा अधिवेशन में बाईस जुलाई को उद्घाटन के अवसर पर सार्वजनिक किए.आरंभिक सत्र के मुख्य अतिथि  राजस्थान तकनिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर आर.पी.यादव ने भी इस छात्र आन्दोलन की प्रगति  पर बधाई देने के साथ उनके अधीन संस्थानों में संस्कारों के सूखेपन इस दौर में कुछ करने की पहल का आश्वासन दिया.पिछले महीनों आयोजित कार्यक्रमों की छ;माही रपटराज्य सचिव दामोदर तंवर ने दी,वहीं स्वागत विचार राष्ट्रीय सलाहकार अशोक जैन ने प्रस्तुत किए . समारोह में  अकलंक गर्ल्स कॉलेज के अविनाश जैन और एस.के.जैन ने भी मंचीय बातचीत कही.गैरतलब है कि ये अधिवेशन बाईस-तेईस जुलाई को कोटा के अकलंक गर्ल्स कोल्ल्गे में संपन्न  हुआ.

परिचय सत्र के बहाने प्रतिभागियों ने स्पिक मैके से अपने जुड़ाव के दिनों से कुछ प्रेरक बातें सभी  के साथ बांटी.इसी अवसर पर राज्यभर से आये तेरह स्कंध के लगभग साठ प्रतिभागियों  ने अपनी गतिविधियों के अनुभव सुनाये.प्रतिभागी शाखाओं में कोटा,जयपुर,चित्तौडगढ़,नाथद्वारा,बाड़मेर,नसीराबाद,लक्ष्मनगढ़,बीकानेर,
अलवर,बनस्थली,भरतपुर,बारां,पिलानी शामिल थे.केन्द्रीय मुख्यालय दिल्ली से  राष्ट्रीय  कोषाध्यक्ष रिक्की श्रीवास्तव ,ए.के.गोयला, श्रीमती सुजाता भी मौजूद थे.दिनभर चले सत्रों में कोटा समन्वयक मेहा झा,राज्य सह सचिव प्रसन्न माहेश्वरी,ऋषी अग्रवाल ने सूत्रधार की भूमिका निभाई.

गतिविधियों के बेहतर संचालन हेतु दो लोगों को राज्य स्तरीय दायित्व  दिए गए जिनमें प्रचार-प्रसार समन्वयक कोटा की  मेहा झा और फिल्म मोड्यूल समन्वयक अलवर के राहुल खंडेलवाल शामिल हैं.लम्बे समय तक चली  चर्चा  और चिंतन के बाद तय हुआ कि  स्पिक मैके राजस्थान में अगले साल पांच सौ कार्यक्रम करेगा.उसी क्रम में विरासत  में देशभर के पंद्रह कलागुरु आगामी नौ अगस्त से तीस नवम्बर तक लगभग दो सौ प्रस्तुतियां  देंगे.जिनमें पंडित  विश्व मोहन भट्ट,कथकली गुरु कलामंडलम  गोपी,शंकर गिटार वादक डॉ. कमला शंकर,कथक गुरु पंडित राजेन्द्र गंगानी,ओडिसी नर्तकी कविता द्विबेदी, नॉर्वेजियन   ग्रुप,सरोद वादक पंडित  तेजेंद्र मजुमदार,गायिका रूपान सरकार ,नंदिनी  बेड़ेकर , कुड़ीयट्टम गुरु मार्गी मधु,कव्वाल अतीक हुसैन बन्दानवाजी ,राजस्थानी लोक कलाकार पद्माराम ,डोल्स थिएटर   ग्रुप के सुदीप गुप्ता के साथ ओड़िसा का गोटीपुआ समूह  आयेगा.वैसे ये आयोजन इस साल स्पिक मैके, टेलीकोम कंपनी टाटा डोकोमो  के साथ मिलकर कर रहा है.ये साझा आयोजन इकत्तीस मार्च तक जारी रहेंगे.

अधिवेशन  में पहले दिन की शाम युवा प्रतिभा प्रिया  वेंकटरमन  के भरतनाट्यम और मोनिसा नायक के कथक नृत्य कार्यक्रम से प्रतिभागी बहुत प्रभावित हुए.आयोजन के दूजे दिन सुबह दस बजे दिल्ली घराने के सईद ज़फर खान ने सितार वादन की प्रस्तुति दी .उन्होंने मियां की तोड़ी और राग भैरवी प्रस्तुत किया जिसे श्रोताओं ने बहुत सराहा.कार्यक्रम के ठीक बाद ही शुरू हुई चर्चाओं में जहां एक तरफ विरासत आयोजन के बारे में कार्यक्रमों को अंतिम रूप दिया गया वहीं दूसरी तरफ डॉ. किरण  सेठ ने स्पिक मैके संस्थापक  होने के साथ साथ सी.बी.एस.ई.  बोर्ड के सदस्य होने के लिहाज़ से कोटा के लगभग  पंद्रह  संस्थाप्रधानों के साथ बैठक की. बैठक में सेठ ने बालकों में बेहतर संस्कार डालने हेतु दो बातों पर जोर दिया जिनमें कक्षा एक से चार तक के विद्यार्थियों में योग और प्राणायाम की नियमित कक्षाएं लगाने और शास्त्रीय संगीत से जोड़ने का निवेदन किया.दूसरे दिन की चर्चाओं में राष्ट्रीय  सलाहकार राजीव टाटीवाला भी जयपुर से शिरकत करने आये. 

 एक निर्णय के अनुसार आगामी राज्य अधिवेशन  आठ-नौ जनवरी को बाड़मेर  में होगा.वहीं अब अगले साल से राजस्थान  में केवल एक ही राज्य अधिवेशन होगा जिसमें तीन दिनी आयोजन रखा जाएगा.इस तरह नवीन प्रभाव के आयोजन की शुरुआत दिसम्बर  दो हजार ग्यारह में अलवर से किया जाना निर्णित रहा.डॉ.किरण सेठ के अनुसार स्कूल स्तर के विद्यार्थियों हेतु राष्ट्रीय अधिवेशन इसी साल पच्चीस से तीस दिसंबर तक डी.पी.एस.पटना में होगा.,वहीं सालाना राष्ट्रीय महोत्सव रेवेन्शा विश्वविद्यालय ,कटक,भुवनेश्वर में अगले साल तेईस से उनत्तीस मई तक होना है. 

कुल मिलाकर हुए दों दिन के सत्रों में हुई कुछ और जरुरी बातें जो उभर के आई उनमें गुरुकुल योजना का लाभ उठाने,राष्ट्रीय प्रायोजकों को प्रचार-प्रसार सामग्री में स्थान देने,हस्तकला के मेले लगाने, आय-व्यय के ब्यौरे के उचित संधारण शामिल हैं.
माणिक
राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य
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