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गोटीपुआ नृत्य के जरिये विद्यार्थियों को संस्कृति का ज्ञान

Written By ''अपनी माटी'' वेबपत्रिका सम्पादन मंडल on 7 अक्तू॰ 2010 | 6:47:00 pm

 हिन्दुस्तान की लोक संस्कृति की जड़े बहुत गहरे तक बैठी हुई है। गोटीपुआ नृत्य उड़िसा में पन्द्रहवी शताब्दी में चलने वाली देवदासी परम्परा के चलते अचानक बाहरी आक्रमणों की वजह से परम्परा को बचाना उद्धेश्य रहा। घर में ही छोटे बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ भगवान जगन्नाथ और श्रीकृष्ण को समर्पित यह नृत्य सिखाया जाता रहा।  हम जब भी किसी लोक विरासत के एक रूप से परिचित होते है तो आश्चर्यचकित होने के साथ-साथ आत्मिक आनंद की अनुभूति भी होती है। स्पिक मैके द्वारा पिछले 9 अगस्त, 2010 से चित्तौड़गढ़ में आयोजित विरासत कार्यक्रमों की अंतिम दो प्रस्तुतियां उडी़सा के लोक नृत्य गोटीपुआ के रूप में सफलता पूर्वक आयोजित हुई। 
बुधवार शाम 7 बजे सैनिक स्कुल के शंकर मेनन सभागार में आयोजित प्रस्तृति में 600 विद्यार्थियों ने पूरे मनोयोग से कार्यक्रम का आनंद लिया। कलाकारों का अभिनंदन स्कूल के प्राचार्य कर्नल एच.एस. संधु, हेडमास्टर एम.आई. हुसैन, रजिस्ट्रार एस.एस. अहलावत, स्पिक मैके वरिष्ट सलाहकार समूह के अध्यक्ष डॉ. एम.बी. बक्क्षी और समन्वयक जे.पी. भट्नागर ने किया। प्रस्तुति 8 कड़ियों में विभाजित थी जिसमें एक के बाद एक अंत तक जाते-जाते दर्शक पूरी तरह से गोटीपुआ में रम गए थे। पंचदेव स्तृति, सारेगामा पल्लवी, अभिनय, वाध्य पल्लवी, आमी उड़िया, लोक नृत्य सम्बलपुरी और बंधनृत्य की प्रस्तुति में दर्शकों ने भरपूर तालियां बजाई और अंत में सभी ने उनके सम्मान में खड़े होकर उनका अभिवादन किया। 
प्रस्तृति में दल के पन्द्रह कलाकारों आपसी समन्वय प्रमुख आकर्षण रहा। दल में निदेशक जे.बी. बैहरा, गायक जे.के. नायक, वायलिन वादक बी.स्वैन, मूदला वादक सी.एम. राउत, बांसुरी वादक एस. टिपीरिया, मंझिरा वादक आलोक रंजनदास के संगीत संयोजन में 9 बाल कलाकारों ने लगातार 1 घंटे तक प्रस्तृति दी, जिसमें एस. बलवंत राय, नितिन भट्टाचार्य, एस. संढ़, जे. बारिक, युधिष्ठिर प्रधान, टी. सण्ड, बी.आर. दास, सी.आर. साहू और टी.के. नायक ने शिरकत की। 
गोटीपुआ नृत्य की यही प्रस्तुति और यहीं क्रम गुरूवार दोपहर 3 बजे गांधीनगर स्थित मेवाड़ गल्र्स कॉलेज में देखने को मिला। यहां लगभग 450 बालिकाओं ने पूरे कार्यक्रम के दौरान अपनी पूरी उर्जा और उत्साह के साथ कलाकारों का उत्साह वर्धन करते हुए आनंद लिया। अंतिम और सबसे आकर्षक प्रस्तुति बंधनृत्य ने सबसे ज्यादा प्रभाव छोड़ा। यहां कलाकारों का स्वागत मेवाड़ एज्युकेशन सोसायटी के अध्यक्ष बी.एल. गदिया, सचिव गोविन्दलाल गदिया, आयुर्वेद नर्सिंग संेटर संरक्षक डॉ. सी.बी. कोठारी, टीचर्स टेªनिंग के प्राचार्य डॉ. एम.के. तिवारी, आयुर्वेद प्राचार्य डॉ. नटवर शर्मा, एस.टी.सी. कॉलेज प्राचार्य, आर.पी. डाड, स्पिक मैके वरिष्ट सलाहकार रमेशचंद्र वाधवानी और सामाजिक कार्यक्रता प्रिति ने प्रतिक चिन्ह विजयस्तम्भ, शॉल और माल्यार्पण द्वारा किया। गोटीपुआ नृत्य के दोनों ही कार्यक्रमों के सूत्रधार और संचालनकर्ता स्पिक मैके राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य माणिक थे।
बाकी के फोटो स्पिक मैके चित्तौडगढ ब्लॉग पर कल मिलेंगे 
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