प्रेस विज्ञप्ति:विरासत 2014 का सतरंगी आगाज
चित्तौड़गढ़ 3 सितम्बर।
स्पिक मैके की चित्तौड़गढ़ शाखा द्वारा नगर में मंगलवार और बुधवार को आयोजित अपने कार्यक्रमों में देश के नामी कलाविद् पं. विश्वमोहन भट्ट, बांसुरी वादक श्रीनिवास सतपति ने लगभग 2 हजार विद्यार्थियों को भारतीय शास्त्रीय संगीत और हमारी साझी विरासत से परिचित कराया। औपचारिक उद्घाटन कार्यक्रम में मंगलवार सायं साढ़े पांच बजे सैनिक स्कूल के शंकर मेनन सभागार में बांसुरी वादक और मोहनवीणा वादन ने विद्यार्थियों को इस विचार के लिए प्रेरित कर दिया कि शास्त्रीय संगीत भी हमारे लिए उतना ही जरूरी है जितना की दैनिक जरूरत की चीजें। कार्यक्रम में कलाकारों का अभिनन्दन ग्रुप केप्टन डीसी सिकरोरिया, ले. कमाण्डर अजय ढील, भारतीय मानवाधिकार एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष जीएनएस चौहान ने किया वहीं कार्यक्रम का संचालन विरासत संयोजक संयम पुरी और स्पिक मैके के राष्ट्रीय सलाहकार माणिक ने किया। उद्घाटन सत्र में नगर के कई गणमान्य नागरिक और रसिक उपस्थित थे। मुख्य रूप से जिला कलेक्टर वेद प्रकाश, डॉ. राजेश चौधरी, भरतनाट्यम नृत्यांगना अरूपा लाहेड़ी, डॉ. केएस कंग, डॉ. राजेन्द्र सिंघवी, वीणा माथुर, नटवर त्रिपाठी, मुन्नालाल डाकोत, कोटिल्य भट्ट, आरएम मराठा, अभिषेक शर्मा, आशा सोनी, ज्ञानेश्वर सिंह और मुकेश शर्मा मौजूद थे।
अपने कार्यक्रमों के दौरान पं. विश्वमोहन भट्ट ने कहा कि संगीत सिर्फ मनोरंजन की बात नहीं है, इसका असली और जरूरी उद्देश्य आत्मिक शांति और परमात्मा की तरफ बढ़ना है। हम विद्यार्थियों को कोशिश करनी चाहिए कि हम वक्त निकाल कर हमारी अमोल धरोहर के बारे में सोचे और इसका आदर करें। जीवन में लय लाने के लिए संगीत सबसे सरल तरीका हो सकता है। यह बात हम अपने बरसों के जीवन अनुभव से कह रहे हैं। प्रकृति ने हमें इतने सारे सुन्दर दृश्य दिये हैं, कभी वक्त निकाल कर इसके करीब जाएं और इसके सौन्दर्य का आभास करें।
अपनी प्रस्तुतियों में राग श्यामकल्याण, नट बैरव, राग पहाड़ी, विश्व रंजनी की प्रस्तुति के साथ साथ पंडित जी ने उनके प्रसिद्ध ग्रेमी सम्मान प्राप्त एलबम ‘ए मीटिंग बाई द रीवर’, ‘केसरिया बालम’, ‘वन्दे मातरम्’, ‘जन-गण-मन अधिनायक’ जैसी रचनाएं सुनाते हुए विद्यार्थियों में राष्ट्रीयता की भावना भरने और बेहतर संगीत की प्रशंसा करने को प्रेरित किया। पं. भट्ट के साथ संगत कलाकार के रूप में पं. किशन महाराज और पं. नन्दन मेहता के शिष्य पृथ्वीराज मिश्रा ने संगत की और कई बार जुगलबंदी, रेला और ताल की अद्भुत प्रस्तुतियां दी। अपने दूसरे कार्यक्रम में बुधवार सुबह साढ़े दस बजे सेन्ट्रल अकादमी सीनियर सैकण्डरी स्कूल, सेंती में भी स्कूली विद्यार्थियों ने पूरी सक्रियता के साथ अनुभव किया कि हमारा अपना संगीत भी बहुत तेज और विचारोत्जेक हो सकता है। यहां कलाकारों का स्वागत प्राचार्य अश्लेष दशोरा, स्पिक मैके प्रभारी परेश नागर ने किया, वहीं कार्यक्रम का संचालन छात्रा श्रुति डाड ने किया।
पं. विश्वमोहन भट्ट ने कई तरह के प्रयोग करते हुए और तालों, रागों और शास्त्रीय संगीत की बारिकियों को बताते हुए विद्यार्थियों को इस संगीत की बरसों पुरानी विरासत से जोड़ने की पूरी कोशिश की। पं. भट्ट का तीसरा और आखरी कार्यक्रम गांधीनगर स्थित मेवाड़ गर्ल्स कॉलेज में हुआ, जहाँ लगभग 700 बालिकाओं के बीच दीप प्रज्जवलन और कलाकारों का माल्यार्पण मेवाड़ एज्यूकेशन सोसायटी के सचिव गोविन्दलाल गदिया, कॉलेज निदेशक प्रो. श्रीपाल सुथार, श्रमिक नेता घनश्यामसिंह राणावत, बस्सी फोर्ट पैलेस के प्रबन्ध निदेशक कर्नल रणधीरसिंह, स्कूल प्राचार्या कल्याणी दीक्षित, फड़ चित्रकार दिलीप जोशी, स्पिक मैके के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य जेपी भटनागर, चित्रकार सत्यनारायण जोशी ने किया। इस मौके पर कलाकारों को विजय स्तम्भ की प्रतिकृति, शॉल और फड़ चित्र कृतियां भी भेंट की गई। कार्यक्रम के बाद लगभग एक घंटे तक छात्राओं ने पं. विश्वमोहन भट्ट से ओटोग्राफ लेकर एक आकर्षक दृश्य पैदा कर दिया। प्रस्तुत में बालिकाओं ने पंडित जी के साथ कुछ गीतों की प्रस्तुति भी दी। प्रस्तुति का संचालन कॉलेज छात्रा स्वप्ना व्यास और नेहा दशोरा ने किया। इस मौके पर स्पिक मैके के स्वयं सेवक सावर जाट, संयम पुरी, मनीष भगत, भगवतीलाल सालवी, संजय कोदली मौजूद थे।
चित्तौड़गढ़ में इन दिनों चल रही नृत्य कार्यशालाओं में गुरूवार सुबह ग्यारह बजे कस्तुरबा गांधी बालिका विद्यालय और दोपहर एक बजे राजकीय प्राथमिक विद्यालय अमरपुरा में अरूपा लाहेड़ी अपनी भरत नाट्यम नृत्य की प्रस्तुति देगी। स्पिक मैके अध्यक्ष डॉ. एएल जैन ने अनुसार विरासत 2014 का अगला प्रमुख आयोजन 25 सितम्बर सुबह ग्यारह बजे विजन स्कूल ऑफ मैनेजमेन्ट में होगा जहां प्रसिद्ध ऑडिसी नृत्यांगना डॉ. अरूणा मोहन्ती अपनी प्रस्तुति देगी।
माणिक,राष्ट्रीय सलाहकार,स्पिक मैके