सादर प्रकाशनार्थ
ऋतू प्रधान रागदारी ही भारतीय संगीत की पहचान है-सहाना बनर्जी
चित्तौड़गढ़ 1 मई 2018
भारतीय शास्त्रीय संगीत के संरक्षण और संवर्धन की इस यात्रा में राजस्थान जैसे प्रदेश में मुझे बड़ा सुकून मिला है। स्कूली बच्चों के बीच हमारी अपनी विरासत से जुड़ी बातचीत और सितार वादन के यह पल बहुत प्रेरक और अलहदा अनुभवभरे साबित हुए हैं। ऋतू प्रधान रागदारी ही भारतीय संगीत की पहचान रही है और इसमें भी दिन-रात के प्रहर के हिसाब से वाद्य बजाने की अपनी खुशी और उसका रसिकों पर अपना जुदा असर है। संगीत अगर सुरीला और रसभरा हो तो वह जीवन को सरस ही बनाता है। राजस्थान वैसे भी अपनी लोक संगीत की धरोहर के लिए विश्वभर में जाना जाता ही है। यहाँ सितार बजाना हमारे लिए गौरव की बात है।
यह विचार रामपुर सेनिया घराने की युवा सितार वादक सहाना बनर्जी ने चित्तौड़गढ़ में अपनी प्रस्तुतियों के दौरान व्यक्त किए। स्पिक मैके चित्तौड़गढ़ इकाई सचिव विनय शर्मा ने बताया कि विरासत श्रृंखला में एक मई को पहला कार्यक्रम दुर्ग चित्तौड़ पर फ़तेह प्रकाश महल परिसर में स्थित राजकीय माध्यमिक विद्यालय में मेडिटेशन के रूप में हुआ जिसका संयोजन प्रधानाध्यापक नटवर लाल जागेटिया, वरिष्ठ अध्यापिका कमला भाम्बी और वरिष्ठ अध्यापिका रजनी रस्तोगी ने किया। किले की प्राचीर में सुबह आठ बजे के शांत माहौल में स्कूली बच्चों के लिए राग भैरव और राग शुद्ध सारंग से यह बड़ी यादगार आनंदमयी अनुभूति बन पड़ी। संगतकार के रूप में रोमेंद्र सकलेचा ने साथ दिया। गौरतलब है कि सहाना बनर्जी सितार वादन के साथ ही सहसवान घराने से सम्बद्ध गायन परम्परा की तालीम भी ले चुकी हैं। कलाकारों की आवभगत और उनके जीवन परिचय पर वोलंटियर प्रांजल दवे और रजनीश दाधीच ने अपने विचार व्यक्त किए।
सितार वादन की दूसरी प्रस्तुति सुबह साढ़े दस बजे शहीद मेजर नटवर सिंह शक्तावत राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय चित्तौड़गढ़ में हुई जिसका संयोजन प्रधानाचार्य गणेश लाल पुर्बिया ने किया। जानकारी देते हुए वोलंटियर शैलेश और नजमुल ने कहा कि शुरुआती दीप प्रज्ज्वलन और माल्यार्पण स्पिक मैके के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. राजेश चौधरी ने किया। कलाकार सहाना ने उपस्थित रसिकों के साथ भारतीय शास्त्रीय संगीत पर बेसिक बातें साझा की। सितार जैसे वाद्य यन्त्र के बारे में डिटेल्स बताते हुए अपनी संगीत यात्रा के के कई अनुभव भी सुनाए। यहाँ श्रोताओं को राग भरवी और मेघ मल्हार सुनने का अवसर मिला। रागदारी की दोनों प्रस्तुतियों में कलाकार ने मियाँ तानसेन की परम्परा से जुड़ी अपनी महारथ और कौशल का बखूबी प्रदर्शन किया। इस मौके पर राष्ट्रीय सलाहकार जेपी भटनागर भी मौजूद थे।
स्पिक मैके चित्तौड़गढ़ के इतिहास में यह बहुत सुखद तथ्य साकार होने जा रहा है कि यहाँ शहर में संगीत जगत की जानीमानी विभूति पंडित कुमार गन्धर्व के पौत्र और पंडित मुकुल शिवपुत्र के बेटे भुवनेश कोमकली आ रहे हैं। राष्ट्रीय सलाहकार माणिक ने बताया कि हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायन की अनोखी शैली के गायक भुवनेश की पहली प्रस्तुति सुबह साढ़े आठ बजे गांधीनगर स्थित विशाल अकादमी सीनियर सेकंडरी स्कूल में होगी जिसका संयोजन आन्दोलन के वरिष्ठ सलाहकार और स्कूल निदेशक बंशीधर कुमावत खुद करेंगे। दूसरा कार्यक्रम शाम साढ़े छह बजे मेडिटेशन विद क्लासिकल गायकी के नाम से सैंथी स्थित सेन्ट्रल एकेडमी सीनियर सेकंडरी स्कूल में होगा। गौरतलब है कि विरासत का यह समापन सत्र होगा। स्पिक मैके अध्यक्ष अश्लेश दशोरा के अनुसार चित्तौड़ शहर में इससे पहले किसी ज़माने में खुद कुमार गन्धर्व और अभी बीते दशक में उनकी पुत्री कलापिनी कोमकली अपनी गायकी पेश कर चुकी है। भुवनेश आज भी गायन की तालीम विदुषी वसुंधरा कोमकली और प्रसिद्द गायक मधुप मुद्गल से ले रहे हैं। कबीर और खासकर मालवी लोक की खुशबु का विशेष पुट भुवनेश कोमकली की गायकी में अनुभव किया जा सकता है। साल २०१२ में संगीत नाटक अकादमी के उस्ताद बिस्मिल्लाह खान सम्मान से नवाजे जा चुके हैं। संगतकार के रूप में भुवनेश कोमकली के साथ तबला वादक विनोद लेले और हारमोनियम पर विनय मिश्रा शिरकत करेंगे। कार्यक्रमों में प्रवेश सभी के लिए खुला है। शहर में विरासत के इस समापन सत्र को लेकर बहुत ज्यादा खुशी है।
यह विचार रामपुर सेनिया घराने की युवा सितार वादक सहाना बनर्जी ने चित्तौड़गढ़ में अपनी प्रस्तुतियों के दौरान व्यक्त किए। स्पिक मैके चित्तौड़गढ़ इकाई सचिव विनय शर्मा ने बताया कि विरासत श्रृंखला में एक मई को पहला कार्यक्रम दुर्ग चित्तौड़ पर फ़तेह प्रकाश महल परिसर में स्थित राजकीय माध्यमिक विद्यालय में मेडिटेशन के रूप में हुआ जिसका संयोजन प्रधानाध्यापक नटवर लाल जागेटिया, वरिष्ठ अध्यापिका कमला भाम्बी और वरिष्ठ अध्यापिका रजनी रस्तोगी ने किया। किले की प्राचीर में सुबह आठ बजे के शांत माहौल में स्कूली बच्चों के लिए राग भैरव और राग शुद्ध सारंग से यह बड़ी यादगार आनंदमयी अनुभूति बन पड़ी। संगतकार के रूप में रोमेंद्र सकलेचा ने साथ दिया। गौरतलब है कि सहाना बनर्जी सितार वादन के साथ ही सहसवान घराने से सम्बद्ध गायन परम्परा की तालीम भी ले चुकी हैं। कलाकारों की आवभगत और उनके जीवन परिचय पर वोलंटियर प्रांजल दवे और रजनीश दाधीच ने अपने विचार व्यक्त किए।
सितार वादन की दूसरी प्रस्तुति सुबह साढ़े दस बजे शहीद मेजर नटवर सिंह शक्तावत राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय चित्तौड़गढ़ में हुई जिसका संयोजन प्रधानाचार्य गणेश लाल पुर्बिया ने किया। जानकारी देते हुए वोलंटियर शैलेश और नजमुल ने कहा कि शुरुआती दीप प्रज्ज्वलन और माल्यार्पण स्पिक मैके के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. राजेश चौधरी ने किया। कलाकार सहाना ने उपस्थित रसिकों के साथ भारतीय शास्त्रीय संगीत पर बेसिक बातें साझा की। सितार जैसे वाद्य यन्त्र के बारे में डिटेल्स बताते हुए अपनी संगीत यात्रा के के कई अनुभव भी सुनाए। यहाँ श्रोताओं को राग भरवी और मेघ मल्हार सुनने का अवसर मिला। रागदारी की दोनों प्रस्तुतियों में कलाकार ने मियाँ तानसेन की परम्परा से जुड़ी अपनी महारथ और कौशल का बखूबी प्रदर्शन किया। इस मौके पर राष्ट्रीय सलाहकार जेपी भटनागर भी मौजूद थे।
पंडित कुमार गन्धर्व के पौत्र भुवनेश कोमकली 2 मई को चित्तौड़गढ़ में
2 मई को होगा शास्त्रीय गायन से विरासत का समापन
स्पिक मैके चित्तौड़गढ़ के इतिहास में यह बहुत सुखद तथ्य साकार होने जा रहा है कि यहाँ शहर में संगीत जगत की जानीमानी विभूति पंडित कुमार गन्धर्व के पौत्र और पंडित मुकुल शिवपुत्र के बेटे भुवनेश कोमकली आ रहे हैं। राष्ट्रीय सलाहकार माणिक ने बताया कि हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायन की अनोखी शैली के गायक भुवनेश की पहली प्रस्तुति सुबह साढ़े आठ बजे गांधीनगर स्थित विशाल अकादमी सीनियर सेकंडरी स्कूल में होगी जिसका संयोजन आन्दोलन के वरिष्ठ सलाहकार और स्कूल निदेशक बंशीधर कुमावत खुद करेंगे। दूसरा कार्यक्रम शाम साढ़े छह बजे मेडिटेशन विद क्लासिकल गायकी के नाम से सैंथी स्थित सेन्ट्रल एकेडमी सीनियर सेकंडरी स्कूल में होगा। गौरतलब है कि विरासत का यह समापन सत्र होगा। स्पिक मैके अध्यक्ष अश्लेश दशोरा के अनुसार चित्तौड़ शहर में इससे पहले किसी ज़माने में खुद कुमार गन्धर्व और अभी बीते दशक में उनकी पुत्री कलापिनी कोमकली अपनी गायकी पेश कर चुकी है। भुवनेश आज भी गायन की तालीम विदुषी वसुंधरा कोमकली और प्रसिद्द गायक मधुप मुद्गल से ले रहे हैं। कबीर और खासकर मालवी लोक की खुशबु का विशेष पुट भुवनेश कोमकली की गायकी में अनुभव किया जा सकता है। साल २०१२ में संगीत नाटक अकादमी के उस्ताद बिस्मिल्लाह खान सम्मान से नवाजे जा चुके हैं। संगतकार के रूप में भुवनेश कोमकली के साथ तबला वादक विनोद लेले और हारमोनियम पर विनय मिश्रा शिरकत करेंगे। कार्यक्रमों में प्रवेश सभी के लिए खुला है। शहर में विरासत के इस समापन सत्र को लेकर बहुत ज्यादा खुशी है।
कृष्णा सिन्हा
प्रेस सचिव
स्पिक मैके चित्तौड़गढ़
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